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नवरात्रि की कहानी..

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दुर्गा मां के नौ दिनों को देश भर में अपने अपने अंदाज से मनाया जाता है। कहीं इस अवसर पर देवी के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए कई तरह के नृत्य पेश किए जाते हैं तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा दुर्गा पूजा होती है।  दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल में बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। जब दुर्गा पूजा का आरंभ हुआ तो इसे पारिवारिक उत्सव के रूप में मनाया जाता था   फिर धीरे-धीरे यह एक सामाजिक उत्सव बन गया। कला का भी इससे जुड़ाव हुआ, जैसे कालांतर में प्रतिमाएं बनाना और साज-सज्जा   जैसी कलाएं त्योहार से जुड़ती गईं। नवदुर्गा यानी नवरात्र की नौ देवियां हमारे संस्कार एवं आध्यात्मिक संस्कृति के साथ जुड़ी हुई हैं। ईश-साधना और आध्यात्म का अद्भुत संगम है, जिसमें देवी दुर्गा की कृपा की बरसात होती है। सृष्टि के निर्माण के समय से ही शक्ति की आराधना की जाती रही है। सबसे पहले भगवान विष्णु ने मधु नामक दैत्य के वध के लिए इस व्रत का पालन कर अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त की। भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर के नाश के लिए यही व्रत किया। जब देवगुरु बृहस्पति की भार्या का हरण चंद्रमा ने कर लिया तो इस समस्या के समाधा

जानिए आस्था के मानक इस्कान मंदिर के बारे में खास

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नई दिल्ली। आज शंकराचार्य स्वरूपानंद ने आस्था के प्रतीक  इस्कान मंदिर  पर विवादित बयान दिया है। उनका कहना है कि इस्कॉन मंदिर केवल कमाई का अड्डा है। इस्कान में पैसों की लूट मची है और वहां चढ़ने वाले पैसे सीधे अमेरिका भेजे जाते हैं क्योंकि इस्कॉन भारत में नहीं बल्कि अमेरिका में पंजीकृत संस्था है इसलिए मेरी मांग है कि इस बात की जांच की जाये। अब इस बात में कितनी सच्चाई है इस बारे में जांच के बाद ही पता चलेगा अगर जांच हुई तो लेकिन इससे पहले आज हम आपको बताते हैं इस्कान मंदिर के बारे में जिसके दर्शन के लिए केवल देशी ही नहीं विदेशी भी लालायित रहते हैं।  नीचे के स्लाइडों पर क्लिक कीजिये और जानिए इस्कान मंदिर के बारे में रोचक बातें... इस्कान का पूरा नाम ISKCON का पूरा नाम International Society for Krishna Consciousness है जिसे हिंदी में अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कान कहते हैं। Error loading player: No playable sources found सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी इस्कान मंदिर की स्थापना श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने सन् 196

भारत के 5 बदनाम बाजार जहां धडल्ले से होता है jism ka सौदा

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नयी दिल्ली (ब्यूरो)। वेश्यावृत्ति को दुनिया का सबसे पुराना पेशा कहते हैं। ऎसा पेशा जो कभी खत्म नहीं हो सकता। वेश्यावृत्ति यानी जिस्म का धंधा अब मोबाइल हो गया है। वक्त के साथ इस धंधे को भी पहिए लग गये हैं। बाजार की जरूरत ने इसे हर जगह पहुंचा दिया है। बड़े-बड़े होटलों, आलीशान रिजॉर्ट्स और पुराने कोठों पर पर इसकी पहुंच तो पहले ही थी लेकिन अब ये धंधा पहुंच गया है सड़कों पर। हालांकि यह धंधा महिलाओं की दैहिक स्वातंत्रता पर कलंक है। 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता दी गई थी पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्तें जोड़ी गईं। शर्त के मुताबिक सार्वजनिक सेक्स को अपराध माना गया और यहां तक कि इसमें सजा का प्रावधान भी रखा गया। अब इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि देश में ऐसी कई गलियां हैं जहां दिन ढलते ही घुंघरुओं की झनकार इस कदर झनकती है कि बाकी के सारे शोर दब जाते हैं। तो आईए आज आपको भारत के 10 ऐसे रेड लाइट एरिया के बारे में बताते हैं जिनका नाम एशिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लिया जाता है। दिल्‍ली का जीबी रोड दि‍ल्‍ली स्थित जीबी रोड का पूरा नाम गारस्टिन बास्टिन

निधिवन का रहस्य, क्या सच में रास रचाने आते हैं रात में राधा कृष्ण?

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 भारत में कई ऐसी जगह है जो अपने दामन में कई रहस्यों को समेटे हुए है ऐसी ही एक जगह है वृंदावन स्तिथ निधि वन जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है यहाँ तक की निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है। जो भी देखता है रासलीला हो जाता है पागल : वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहाँ से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो पागल हो जाता है। ऐसा ही एक वाक़या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वो बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चूका था। ऐसे  अनेकों किस्से यहाँ के लोग बताते है। ऐसे ही एक अन्य वयक्ति थे पागल बाबा जिनकी समाधि भी निधि वन में बनी हुई है। उनके बारे में भी कहा जाता है की उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रास ली

पिम्पल्स हटाने के घरेलू उपाय तरीके व टिप्स

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जवानी की देहलीज़ पर कदम रखते ही पिंपल्स याने मुहासे प्रकट होते है| इस के पीछे मुख्या कारण है की शरीर में होरमोन्स का निर्माण होने लगता है और इस के कारण त्वचा में तेल उत्पन्न होने लगता है जो मेल के साथ मिल के छिद्र को बंद कर देते है| परिणाम यह होता है की छिद्र के अन्दर बैक्टीरिया का फैलाव होता है और त्वचा पर मुहासे निकल आते है| अगर इस में लापरवाही रखे तो आगे जाके यह  काले दाग और धब्बे  छोड़ देते है जिन्हें निकालना मुश्किल होता है| इसीलिए जवानी में ख़ास सावधानी रखे स्वछता की तो मुहासे ही न हो और अगर हो भी जाए तो बिना दाग के आप मिटा दे|  पिम्पल हटाने के उपाय   ( pimples ke liye gharelu upay )  आप जानिये और रहे मुक्त इस परेशानी से| मुहासों/पिम्पल्स के कारण, कैसे रोके, निशान के घरेलू उपाय :- मुहासे होने का कारण पिम्पल्स क्या है? पिम्पल्स को कैसे रोके? मुहासे हटाने के आसान और असरदार घरेलू उपाय  तेल हटाए और त्वचा स्वच्छ रखे मुहासे के निशान मुहासे होने का कारण - मुहासे होने का कारण में मुख्य कारण है की जवानी (पुबेर्टी) में होर्मोन्स बनते है| इस से शरीर के त्वचा, और ख़ास कर के

मथुरा के बाल वैज्ञानिकों की डिप्टी सीएम ने थपथपाई पीठ

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मथुरा। विज्ञान के प्रति गहरी रुचि और लगन ने मथुरा के छात्र बलवीर और शिवम को इतनी बड़ी उपलब्धि दिलाई कि लखनऊ में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा भी दोनों की पीठ थपथपाने को मजबूर हो गए। इनमें से एक ने गड्ढा खोदने की मशीन बनाई है और दूसरे ने ऑटो डस्ट लिफ्टर तैयार किया। इन दोनों छात्रों के बनाए साइंस मॉडल लखनऊ में आयोजित ‘इंस्पायर अवार्ड’ की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में चुने गए हैं। अब ये बच्चे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। प्रतियोगिता 15 मार्च को लखनऊ स्थित रानी लक्ष्मीबाई इंटर कॉलेज चिनहट में आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में प्रदेश भर के 153 छात्रों ने अपने मॉडल प्रस्तुत किए थे। प्रतियोगिता में 16 बाल वैज्ञानिकों को चुना गया है। बलवीर कुमार मथुरा के जयगुरुदेव बाल्य बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 10 के छात्र हैं। इनके पिता सुभाष मजदूरी करते हैं। बलवीर की विज्ञान में गहरी रुचि है। इन्होंने गड्ढा खोदने के लिए ईजी होल डिजाइनिंग मशीन तैयार की। शिवम भी इसी विद्यालय में कक्षा नौ के छात्र हैं। शिवम वर्मा ने ऑटो डस्ट लिफ्टिंग मशीन तैयार की है। ये मशीन कूड़े के ऊपर से गुज

पेट दर्द की समस्‍या

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पेट दर्द  अथवा उदरीय दर्द, क्षणिक बीमारी अथवा गंभीर बीमारी का एक लक्षण हो शकता है। पेट दर्द के कारण से एक निश्चित निदान करना कठिन हो सकता है, क्योंकि कई बीमारियों में ये लक्षण देखा जा शकता है। पेट दर्द एक आम समस्या है। पेट दर्द में सबसे अक्सर कारण सौम्य और / या आत्म - सीमित है, लेकिन और अधिक गंभीर कारण के अन्दर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है जठरांत्रिय ज्वालाग्राही: आंत्रशोथ, आंत्रपुच्छकोप, पेट में सुजन, ग्रासनलीशोथ, विपुटीशोथ,crohn के रोग, सव्रण बृहदांत्रशोथ, सूक्ष्म बृहदांत्रशोथ रुकावट: हर्निया, आंत्रावरोध, वोल्वुलुस, शल्य चिकित्सा के बाद के जुडाव, रसौली, उपरवाली मेसेंत्रिक धमनी के विकार गंभीर कब्ज, बवासीर रक्त कोष्ठक संबंधी : अन्त: शल्यता, घनास्त्रता, खून का बहना, दरांती सेल रोग, उदर के दर्द, रक्त धमनी दबाव जैसे की सेलिअक धमनी दबाव सिंड्रोम, स्थितिज ऑर्थोस्टैटिक तीव्र हृदय स्‍पंदन दर पाचन सम्बन्धी : उदर व्रण, लैक्टोज असहिष्णुता, सीलिएक रोग, खाद्य एलर्जी पित्त प्रणाली भड़काऊ: पित्ताशय की सुजन, पित्तवाहिनी शोथ रुकावट: पित्त पथरी और ट्यूमर यकृत  भड़काऊ