जानिए आस्था के मानक इस्कान मंदिर के बारे में खास
नई दिल्ली। आज शंकराचार्य स्वरूपानंद ने आस्था के प्रतीक इस्कान मंदिर पर विवादित बयान दिया है। उनका कहना है कि इस्कॉन मंदिर केवल कमाई का अड्डा है। इस्कान में पैसों की लूट मची है और वहां चढ़ने वाले पैसे सीधे अमेरिका भेजे जाते हैं क्योंकि इस्कॉन भारत में नहीं बल्कि अमेरिका में पंजीकृत संस्था है इसलिए मेरी मांग है कि इस बात की जांच की जाये।
अब इस बात में कितनी सच्चाई है इस बारे में जांच के बाद ही पता चलेगा अगर जांच हुई तो लेकिन इससे पहले आज हम आपको बताते हैं इस्कान मंदिर के बारे में जिसके दर्शन के लिए केवल देशी ही नहीं विदेशी भी लालायित रहते हैं। नीचे के स्लाइडों पर क्लिक कीजिये और जानिए इस्कान मंदिर के बारे में रोचक बातें...
अब इस बात में कितनी सच्चाई है इस बारे में जांच के बाद ही पता चलेगा अगर जांच हुई तो लेकिन इससे पहले आज हम आपको बताते हैं इस्कान मंदिर के बारे में जिसके दर्शन के लिए केवल देशी ही नहीं विदेशी भी लालायित रहते हैं। नीचे के स्लाइडों पर क्लिक कीजिये और जानिए इस्कान मंदिर के बारे में रोचक बातें...
इस्कान का पूरा नाम
ISKCON का पूरा नाम International Society for Krishna Consciousness है जिसे हिंदी में अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कान कहते हैं।
सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी
इस्कान मंदिर की स्थापना श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी।
सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी
इस्कान मंदिर की स्थापना श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी।
भगवान कृष्ण के संदेश
स्वामी प्रभुपादजी नें पूरे विश्व में भगवान कृष्ण के संदेश को पहुंचाने के लिए इस मंदिर की स्थापना की
55 बरस की उम्र में संन्यास
मात्र 55 बरस की उम्र में संन्यास लेकर पूरे विश्व में स्वामी जी ने हरे रामा हरे कृष्णा का प्रचार किया।
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